अजमेर में 20 से 25 अप्रैल तक होगा भव्य पंचकल्याण महोत्सव
जैनेश्वरी दीक्षाएं भी दी जाएगी
पंचकल्याण महोत्सव अपनी अलग पहचान बनाएगा --- आचार्य वसुंनंदी जी महाराज
अजमेर। (राजकुमार वर्मा/ मनोज वर्मा)आचार्य वसुंनंदी जी महाराज ने कहा की अजमेर में 20 अप्रैल से 25 अप्रैल तक होने वाला पंचकल्याण महोत्सव अपनी अलग पहचान बनाएगा. नाका मदार में जैसवाल जैन समाज द्वारा निर्मित श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र अब पूर्णतः बनकर तैयार हो चुका है, जो वर्तमान में विश्व का सबसे विशाल जैन तीर्थ क्षेत्र माना जा रहा है।
यह भव्य तीर्थ क्षेत्र 2014 में आचार्य वसुंनंदी जी महाराज की प्रेरणा व आशीर्वाद से प्रारंभ हुआ था और अब 11 वर्षों की अथक साधना और निर्माण कार्यों के उपरांत इसका स्वरूप पूर्ण हो चुका है।
इस शुभ अवसर पर दिनांक 20 अप्रैल 2025 से 25 अप्रैल 2025 तक पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा।
इस ऐतिहासिक पंचकल्याणक महोत्सव में जैनेश्वरी दीक्षाएं भी दी जाएंगी। आचार्य वसुंनंदी जी महाराज के सान्निध्य में 41 साधु-साध्वियाँ इस पावन तीर्थ क्षेत्र पर विराजमान हैं। उनके दिशा निर्देशन में इस भव्य महोत्सव का आयोजन हो रहा है।
यह आयोजन आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अतुलनीय होगा।श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र में भगवान शांतिनाथ की 54 फीट ऊँची भव्य प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई है। इसके अतिरिक्त पद्मासन मुद्रा में विराजित 24 तीर्थंकरों की सवा 11 फीट की जिन चौबीसी मूर्तियां भी इस तीर्थ की शोभा बढ़ा रही हैं। भव्य सिंहद्वार मंदिर की भव्यता को और अधिक आकर्षक बनाता है। मंदिर परिसर में चांदी व अष्टधातु की अनेक मूर्तियां भी विराजमान की गई हैं। पंचकल्याणक महोत्सव हेतु मंदिर परिसर के समीप अयोध्या नगरी का निर्माण भी अस्थायी रूप से किया गया है, जहाँ इस धार्मिक आयोजन के सभी प्रमुख अनुष्ठान सम्पन्न होंगे।
महोत्सव के दौरान कई प्रकार के भव्य जुलूसों का आयोजन किया जाएगा जिनमें सजे हुए हाथी, घोड़े, ऊँट, बग्घियाँ सम्मिलित होंगी। इसके साथ-साथ महाराष्ट्र और गुजरात से आए ढोल-नगाड़े, बैंड-पार्टी आदि भी शोभायात्रा में भाग लेंगे जो इस कार्यक्रम को और भी मनोहारी बनाएंगे।
आचार्य वसुंनंदी जी महाराज ने पत्रकार वार्ता में तीर्थ क्षेत्र से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने पंचकल्याणक महोत्सव के महत्व को समझाया और इसमें आयोजित होने वाले विविध धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह आयोजन आत्मा की शुद्धि, धर्म के प्रचार-प्रसार और समाज में संयम व सदाचार की भावना को जागृत करने वाला होगा।
इस विशेष महोत्सव में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा, केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री भागीरथ चौधरी, जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, अजमेर दक्षिण की विधायक अनीता भदेल समेत अनेक जनप्रतिनिधि और उच्चाधिकारी बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। इन सभी अतिथियों की उपस्थिति इस धार्मिक आयोजन की गरिमा को और अधिक बढ़ाएगी।
आचार्य वसुंनंदी जी महाराज ने नाका मदार क्षेत्र का नाम परिवर्तित कर 'जैन नगर' रखने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि जिस भूमि पर इतना विशाल जैन तीर्थ स्थापित हो चुका है, उसकी पहचान 'जैन नगर' के रूप में होनी चाहिए। यह मांग न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 11 वर्षों से श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र में निरंतर शांतिधारा व शांति विधान का आयोजन किया जा रहा है, जो अपने आप में एक विश्व कीर्तिमान है। साथ ही, बिजोलिया से सड़क मार्ग द्वारा लाए गए विशाल पाषाण खंड को तराशकर भगवान शांतिनाथ की 54 फीट ऊँची प्रतिमा का निर्माण किया गया है, जो अपने आप में एक अप्रतिम निर्माण है और देशभर में अद्वितीय है।
इसी प्रकार, 24 तीर्थंकरों की सवा 11 फीट की पद्मासन मूर्तियां एक ही परिसर में विराजमान कराई गई हैं, जो किसी भी तीर्थ क्षेत्र में पहली बार हुआ है। यह उपलब्धियां निश्चित रूप से विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होने योग्य हैं और इस तीर्थ को वैश्विक मानचित्र पर एक नई पहचान देंगी।
जैन समाज के विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा राजस्थान सरकार से मांग की गई है कि वे आचार्य वसुंनंदी जी महाराज को 'राज्य अतिथि' का दर्जा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री का योगदान न केवल धार्मिक क्षेत्र में है बल्कि समाज निर्माण, संस्कार और संयम की भावना के प्रचार में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।